करे कोई और भरे कोई

आपके मोबाइल का बिल पिछले कुछ महीने से कम आने लगा है ? पिछले कुछ  महीनो से महंगाई कुछ कम हुयी लगती है आपको?  ज्यादातर लोगो का जवाब हां रहेगा । पर क्या यही सच है ? जी नहीं।

आपका कम हुआ मोबाइल बिल दरअसल कम हुआ ही नहीं है । आप बिल का कुछ भाग अभी  चूका रहे हो और कुछ भाग आने वाले में चुकाने जा रहे हो आपके अभी के कम हुए मोबाइल बिल से ज्यादातर टेलीकॉम कंपनी नुकसान कर रही है । टेलीकॉम क्षेत्र, बैंको से लिया हुआ क़र्ज़ चुकाने की स्थिति में नहीं है । सरकार ने भले ही कोई बैल आउट पैकेज नहीं दिया है अभी पर टेलीकॉम सेक्टर के संकट पे सोचने के लिए एक इंटर मिनिस्टीरियल पैनल बना दिया है । अब इसमें दो ही रास्ते है - या तो सरकार खुद बैल आउट करे या बैंक वेव ऑफ करे । दोनों ही ऑप्शन में पैसे तो आपके ही जेब से जाने वाले है  । सरकार का पैसा और सरकारी बैंक का पैसा आख़िरकार तो आपका और हमारा ही पैसा है ।

अब प्रश्न यह है की अमीरो के अनलिमिट कॉल , इंटरनेशनल कॉल और १० जीबी वाले डाटा पैक का खर्च एक गरीब अपने बिस्कुट पे लगने वाले टैक्स से क्यों भरे ? दिनभर ट्विटर पर बैठकर कर लेबर रिफार्म के नाम पर मज़दूर को लूटने का प्लान बनाने वालो के डाटा पैक का खर्च लेबर क्यों उठाये ?

अब आते है महंगाई के सवाल पर, यह सच है की पिछले साल महंगाई कम हुयी है । पहले महंगाई की दर WPI इंडेक्स से तय होती थी जिसमे फ़ूड कमोडिटीज का बलभार कम था पर अब सराकर CPI इंडेक्स को हैडलाइन इंडेक्स मानती है जिसमे फ़ूड कमोडिटीज का बलभार करीबन ४५% है । मध्यम वर्ग को रिझाने के लिए सराकर ने महंगाई को बहुत अच्छे तरीके से मैनेज किया पर इसी चक्कर में किसानो का बहुत नुकसान हो गया । अब सकरारो में भी किसान को लोन वेवर देने की होड़ लगी है । अब यह पैसा भी आपकी जेब से जी जाने वाला है । तो भले ही आपको सेव १०० रु  की जगह ८० रु में मिले हो मार्च - अप्रैल में , बाकि के २० रु आप आने वाले महीनो में चुकाने ही जा रहे हो किसान लोन वेवर के माध्यम से।

यह तो बात हो गयी पैसो की पर करे कोई और भरे कोई का मामला सिर्फ पैसो तक सिमित नहीं है । इस देश में अमीरो के हर मौज का खर्च गरीब को ही उठाना पड़ता है  ।

गर्मी के दिन में अमीर लोग एयर कंडीशन में ही रहते है । एयर कंडीशन से पैदा होने वाली गैस CFC की ग्रीन हाउस गैस ट्रैप करने की क्षमता   Co2 से कही हज़ार गुना ज्यादा है । अब इसका असर यह है की आये दिन हीट वेव से मरने वालो की संख्या बढती ही जाती है। हीट वेव एक ऐसी समस्या है जिसमे १००% गरीब ही मरते है  क्युकी अमीर लोग दोपहर को आराम करना अफोर्ड कर सकते है पर गरीब को  तो तपती गर्मी में भी शाम को रोटी खाने के लिए मजदूरी करनी ही पड़ती है और इसी कारन गरीब हीट वेव का निशाना बनते है।

And that’s why it’s said that :- India grapple in obesity while Bharat remains malnutrient.




Comments